शीश झुकाए गुरु चरणों में शिष्य बनाले जीवन सार्थक। शीश झुकाए गुरु चरणों में शिष्य बनाले जीवन सार्थक।
गुरु चंदन हम माटी, जिसने ज्ञान है बाँटी गुरु चंदन हम माटी, जिसने ज्ञान है बाँटी
इधर वो बदल रहा था, और इधर नित नई मैं इधर वो बदल रहा था, और इधर नित नई मैं
उस हाथ से जिसमें क्षमता थी कई लोगों का भाग्य बदलने की। उस हाथ से जिसमें क्षमता थी कई लोगों का भाग्य बदलने की।
तुम पूर्णिमा के चाँद सी, मैं अँधेरी रात सा। तुम पूर्णिमा के चाँद सी, मैं अँधेरी रात सा।
आई दीवाली खुशियाँ लाई चलो दीप जलाए अंधकार मिटाएँ। आई दीवाली खुशियाँ लाई चलो दीप जलाए अंधकार मिटाएँ।